रविवार, अक्तूबर 29, 2023

लोहार की आवाज़ ने बजा दिया संगीत का सुर | Sat Suron Ki Khoj

प्रस्तुतकर्ता: सतीश कु. शर्मा
संगीत एक ऐसा माध्यम है जो मानव को खुशी, उदासी, क्रोध, प्रेम आदि विभिन्न भावनाओं को व्यक्त करने में मदद करता है। संगीत में सात सुर होते हैं। इन स्वरों का प्रयोग करके विभिन्न प्रकार की धुनें और राग बनाए जाते हैं। संगीतकार इन स्वरों का प्रयोग करके विभिन्न प्रकार के भावों को व्यक्त करते हैं।

क्या आप जानते हैं कि सात सुरों की खोज कैसे हुई? इस लेख में आगे पढ़िए

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सात सुरों की खोज Sat Suron Ki Khoj

लोहार की हथौड़े का प्रहार से निकली ध्वनियों से सात सुरों की खोज

पाइथागोरस एक महान गणितज्ञ, रहस्यवादी और वैज्ञानिक थे, जिन्होंनेने  द्वि-परमाणुक संगीतीय मान का आविष्कार किया था, जिसके ऊपर परवर्ती शताब्दियों का संगीत आधारित रहा। संभवतः मान से संबंधित उसका यह आविष्कार उसके अंतरिक्ष विज्ञान और गणित- शास्त्र संबंधी अध्ययन से जुड़ा था।

संगीत के मान की तरह सूर्य के चारों तरफ गतिशील ग्रह भी एक निश्चित संख्यागत व्यवस्था का पालन करते हैं और शायद इसी के आधार पर पाइथागोरस ने 'अक्ष का संगीत' की अवधारणा प्रस्तुत की थी, जो संगीत सूर्य के इर्द-गिर्द पृथ्वी और अन्य ग्रहों के गतिशील रहने पर पैदा होता है।

पाइथागोरस ने किस तरह द्वि-परमाणुक संगीतीय मान का आविष्कार किया, इसका कहानी भी रोचक है।

आगे पढ़िए पाइथागोरस ने सात सुरों की खोज कैसे की?

लोहार की आवाज़ ने बजा दिया संगीत का सुर | Sat Suron Ki Khoj

एक दिन वह एक लोहार की दुकान के सामने से गुजर रहा था, तब उसने गरम धातु पर कुछ लोगों द्वारा हथौड़े का प्रहार करने की ध्वनियाँ सुनीं। उसने गौर किया कि तीन हथौड़ों को छोड़कर बाकी सभी हथौड़ों की सुसंगत ध्वनियाँ सुनाई दे रही थीं। सप्तम, पंचम और तृतीय हथौड़े से असंगत ध्वनियाँ सुनाई दे रही थीं। लोहार की दुकान में प्रवेश कर उसने पाया कि हथौड़ों के वजन में अंतर होने के कारण उनकी ध्वनियों में भी अंतर आ गया था। उसने हथौड़ों के वजन को लिख लिया और घर पहुँचने के बाद चार रस्सियों में हथौड़े के वजन के बराबर लोहा बाँधकर धातु पर टकराया तो लोहार की दुकान के समान ही ध्वनियाँ सुनाई पड़ीं। उसके बाद उसने पाँच पूर्ण सुर और दो आधे सुरों की खोज की।

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